शोला जैसे भड़के रे कमरिया लचके रे - The Indic Lyrics Database

शोला जैसे भड़के रे कमरिया लचके रे

गीतकार - समीर | गायक - उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल, अभिजीत | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - मेला | वर्ष - 1999

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शोला जैसे भड़के रे दिल मेरा धड़के रे
कमरिया लचके रे बाबू ज़रा बच के रे
शोला जैसे भड़के ...जले रे मोरा जिया
छूना ना मोहे पिया
हे आई कहां से ओ दिलरुबा
जादू सा तेरा सब पे चला
अरे दीवानों को ना ऐसे जला
यूं ना दिलों पर छुरियां चला
कमरिया लचके रे ...आई रे आई रे आई सपनों की राअनी है आई
आई रे आई
हो हो हे हे
इक ना इक दिन मिल जाएगी हमको भी सपनों की रानी
आई रे आई रे आईसाँसों में हैं चिंगारियाँ
सीने में कोई चुभन है
नस नस में जागी अगन है
रोक ना तू इस आग को जलने दे
जो भी अगन है देख ज़माना मगन है
मेरे कलेजे में कोई तीर है गड़ा
चढ़ा रे चढ़ा रे चढ़ा
ये कैसा ज़हर है चढ़ा
तुझको नहीं कुछ भी होश है
तेरी उमर का ये दोष है
दीवानों को ना ऐसे ...सारा जहां पीछे पड़ा दुश्मन बनी ये जवानी
मुश्किल में है ज़िंदगानी
डर है तुझे किस बात का हम तेरे साथी हैं जानी
फिर काहे सोचे दीवानी
कहीं दीवाना तो कहीं क़ातिल है खड़ा
जाना मेरा जाना ओहो मुश्किल है बड़ा
जाएगी बच के अब तू कहां
तू है जहां अब हम हैं वहां
दीवानों को ना ऐसे ...