जब किसी के रुख़ पे ज़ुल्फ़ें आके लहराने लगीं - The Indic Lyrics Database

जब किसी के रुख़ पे ज़ुल्फ़ें आके लहराने लगीं

गीतकार - डी एन मधोक | गायक - तलत महमूद | संगीत - विनोद | फ़िल्म - अनमोल रतन | वर्ष - 1950

View in Roman

जब किसी के रुख़ पे ज़ुल्फ़ें आके लहराने लगीं
हसरतें उठ उठ के अरमानों से टकराने लगीं
मिल गईं आँखों से आँखें भूल से या जानकर
वो भी शरमाने लगे और वो भी शरमाने लगीं
दर्द जो पैदा हुआ है दिल में दिल कैसे कहे
धड़कनें दिल की कहानी दिल को समझाने लगीं