ऐ दुनिया के माँ बाप दुखियों पे कुछ रहम करो - The Indic Lyrics Database

ऐ दुनिया के माँ बाप दुखियों पे कुछ रहम करो

गीतकार - प्रदीप | गायक - आशा भोंसले, आरती मुखर्जी | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - तलाक | वर्ष - 1958

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ऐ दुनिया के माँ-बाप सुनो ये देश है किशन-कन्हैया का
ये भूमी वही है प्यार जहाँ लुटता था जशोदा मैया कालेकिन इस देश में ही अब तो ऐसे भी अभागे होते हैं
माँ-बाप के होते हुये भी जो हँसने की उमर में रोते हैं( दुखियों पे कुछ रहम करो माँ-बाप हमारे
भूले हो जिन्हें हम वही बच्चे हैं तुम्हारे ) -२
दुखियों पे कुछ रहम करोहम हैं वो दिये रूठ गई जिन से दीवाली -२
वो फूल हैं जिनसे यहाँ नाराज़ है माली
हम वो हैं जो प्यासे रहे गंगा के किनारे
भूले हो जिन्हें हम वही बच्चे हैं तुम्हारे
दुखियों पे कुछ रहम करोहो
जो हो सके तुमसे तो ज़रा प्यार हमें दो -२
हम रो रहे हैं हँसने का अधिकार हमें दो
प्यार हमें दो
आँगन में तुम्हारे हैं खड़े हाथ पसारे
भूले हो जिन्हें हम वही बच्चे हैं तुम्हारे
दुखियों पे कुछ रहम करोमइया ज़रा एक बार हमें पास बुला लो -२
बापू हमें संसार की आँधी से बचा लो
तुमको हमारी आँख का हर आँसू पुकारेभूले हो जिन्हें हम वही बच्चे हैं तुम्हारे
दुखियों पे कुछ रहम करो माँ-बाप हमारे
भूले हो जिन्हें हम वही बच्चे हैं तुम्हारे
दुखियों पे कुछ रहम करो