गैरों से अब सुना करो नगमें बहार के - The Indic Lyrics Database

गैरों से अब सुना करो नगमें बहार के

गीतकार - के एम आरिफ | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली | फ़िल्म - गुलाम अली (गैर फिल्म) | वर्ष - 1987

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ग़ैरों से अब सुना करो नग़्में बहार के
हम तो चले मता-ए-दिल-ओ-जान हार केबाद-ए-सहर ने जब तेरे आने की दी नवीद
मुर्झाये फूल खिल उठे मेरे मज़ार केअक्सर उसी पे जा के गिरी बर्क-ए-बे-अमाँ
तुरग़े बुलंद हो गये जिस शाख़सार केजलने को दिल तो दे दिया दिल को ज़बाँ न दी
देखे हैं हमने हौसले परवरदिगार केसूरज की धूप भी इन्हें शायद ही धो सके
जो हाशिये उफ़क़ पे हैं दर्द-ओ-ग़ुबार के