पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हाल हमारा जाने है - The Indic Lyrics Database

पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हाल हमारा जाने है

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता - रफी | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - एक नज़र | वर्ष - 1972

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पत्ता पत्ता, बूटा बूटा, हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने, बाग तो सारा जाने है
कोई किसी को चाहे, तो क्यों गुनाह समझते है लोग
कोई किसी की ख़ातिर तड़पे अगर तो हँसते हैं लोग
बेगाना आलम है सारा, यहाँ तो कोई हमारा
दर्द नहीं पहचाने हैं
चाहत के गुल खिलेंगे, चलती रहें हजार आँधियाँ
हम तो इसी चमन में बांधेगे प्यार का आशियाँ
ये दुनिया बिजली गिराए, ये दुनिया काँटें बिछाए
इश्क मगर कब माने है
दिखलाएंगे जहां को, कुछ दिन जो जिंदगानी है और
कैसे ना हम मिलेंगे, हमने भी दिल में ठानी है और
अभी मतवाले दिलों की, मोहब्बत वाले दिलों की
बात कोई क्या जाने है