घूँघट पट नाही खोलूँ - The Indic Lyrics Database

घूँघट पट नाही खोलूँ

गीतकार - पंडित इंद्र | गायक - जहांआरा कजान | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - भर्तृहरि | वर्ष - 1944

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हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए

ग: हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए

दिल के उजड़े हुए गुल्शन में बहार आ जाए

न: दिल तो कहता है कि आँखों में छुपा लूँ तुझको

डर यही है कि मुक़द्दर को नकार आ जाए

ग: हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए

ग: दिल के ज़ख्मों पे मेरे प्यार का मर्‌्‌हम रख दो

बेक़रारी तो मुझे कुछ तो क़रार आ जाए

हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए

न: यूँ ख़ुदा के लिए छीनो न मेरे होशओहवास

ऐसी नज़रों से न देखो कि ख़ुमार आ जाए

ग: हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए

ग: छोड़ के तुम भी चले जाओगी क़िस्मत की तरह

बादअज़ाने तो अजल ही को न प्यार आ जाए

हाथ सीने पे जो रख दो तो क़रार आ जाए

दिल के उजड़े हुए गुल्शन में बहार आ जाए