रात के रही थक मत जाना - The Indic Lyrics Database

रात के रही थक मत जाना

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - बाबला | वर्ष - 1953

View in Roman

रात के रही थक मत जाना सुबह की मंज़िल दूर नहीं
थक मत जाना ओ राही थक मत जाना
धरती के फैले आँगन में पल दो पल है रात का डेरा
ज़ुल्म का सीना चीर के देखो, झाँक रहा है नया सवेरा
ढलता दिन मजबूर सही, चढ़ता सूरज मजबूर नहीं
सदियों तक चुप रहनेवाले, अब अपना हक़ लेके रहेंगे
जो करना है खुल के करेंगे, जो कहना है साफ़ कहेंगे
जीते जी घुट-घुटकर मरना इस जुग का दस्तूर नहीं
टूटेंगी बोझल ज़ंजीरें जागेंगी सोयी तक़दीरें
लूट पे कब तक पहरा देंगी ज़ंग लगी खूनीं शमशीरें
रह नहीं सकता इस दुनिया में जो सब को मंज़ूर नहीं