घटा घनघोर घोर - The Indic Lyrics Database

घटा घनघोर घोर

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - खुर्शीद | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - तानसेन | वर्ष - 1943

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हँसी हँसी न रही और ख़ुशी ख़ुशी न रही

हँसी हँसी न रही और ख़ुशी ख़ुशी न रही

मैं ज़िन्दगी जिसे समझूँ वो ज़िन्दगी न रही

जियूँ तो किसके लिए और मरूँ तो किसके लिए

जो एक आस बँधी थी वो आस ही न रही

कुछ आ के ग़म के अँधेरे ने ऐसा घेर लिया

चिराग़ जलते रहे और रोशनी न रही

अँधेरी रात है अब और बुझा सा दिल का दिया

जो चार दिन के लिए थी वो चाँदनी न रही

हँसी हँसी न रही