न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे - The Indic Lyrics Database

न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे

गीतकार - प्रदीप | गायक - अशोक कुमार | संगीत - सरस्वती देवी | फ़िल्म - झूला | वर्ष - 1941

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नहीं चिराग़एमुहब्बत जलाए जाते हैं

नहीं चिराग़एमुहब्बत जलाए जाते हैं

ये दिल के दाग़ जहां हों दिखाए जाते हैं

वो दर्द बन के जिगर में समाए जाते हैं

भुला रही हूँ मगर याद आए जाते हैं

उठा निगाहएमुहब्बत मुझे सहारा दे

कठन है राह क़दम डगमगाए जाते हैं

ज़ुबानएअश्क पे अफ़सानाएमुहब्बत है

कोई सुने न सुने हम सुनाए जाते हैं