अपने होंठों की बन्सी बना ले मुझे - The Indic Lyrics Database

अपने होंठों की बन्सी बना ले मुझे

गीतकार - नीरज | गायक - लता - किशोर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - गेम्बलर | वर्ष - 1971

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अपने होंठों की बन्सी बना ले मुझे
मेरी साँसों में तेरी सांस घुल जाए
आरजू तो हमारी भी है ये मगर
डर है मौसम कही ना बदल जाए
देखा तुझे, चढ़ा ये कैसा नशा
चली ये कैसी हवा, भूले हम घर का पता
अब तो नहीं हम से होना जुदा
अपनी बाहों का घूंघट ओढा दे मुझे
प्यार की ये ना डोली निकल जाए
ये तो बता, कहा रखू ये कँवल
जिंदगानी है मेरी, रेत का एक महल
याद जैसे हो कोई आधी गज़ल
अपनी रातों का दीपक बना ले मुझे
ये सुलगती हुयी शाम ढल जाए
पास तो आ, ये दिन मर जाने का है
ये दिन कुछ खोने का है, ये दिन कुछ पाने का है,
मौसम ये रुठने मनाने का है
अपनी दामन की खुशबू बना ले मुझे
दिल के सुने में कोई फूल खिल जाए