निगाहें निची की महाके हुए तेरे लब के गुलाब - The Indic Lyrics Database

निगाहें निची की महाके हुए तेरे लब के गुलाब

गीतकार - इन्दीवर | गायक - साधना सरगम, मोहम्मद अज़ीज़ | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - जैसी करनी वैसी भरणी | वर्ष - 1989

View in Roman

निगाहें नीची किए सर झुकाए बैठे हो
तुम्हीं तो हो जो मेरा दिल चुराए बैठे होमहके हुए तेरे लब के गुलाब बढ़ता हुआ तेरा कमसिन शबाब
तेरा अंगूरी तन जो हुआ है हाय रे आज पानी भी मदिरा हुई हैरोक पाएगी क्या मुझको शर्म-ओ-हया
दिल में दबता नहीं ऐसा तूफ़ां उठा
लड़के हद से गुज़रने लगे हैं हाय रे कली भंवरे पे मरने लगी हैमिलना ज़रूरी हुआ दो दिलों का मिलने के रस्ते निकाले
जिस्मों ने जो फ़ासले चुन लिए थे दिल ने वो खुद तोड़ डाले
चाँद तारों की क्या है ज़रूरत मुझे तेरे तन के बहुत हैं उजाले
दिल छू गई तेरी तीखी नज़र तीखी नज़र कर गई क्या असर
तन में अंगारा दहका हुआ है हाय रे आज मन है के हो
आज मन है के बहका हुआ हैसूरज ये बोला कली तू खिल जा किरणों के हार तुझे दूंगा
बादल ये बोला कली तू खिल जा नई बहार तुझे दूंगा
भंवरे ने कहा कुछ भी दूंगा नहीं मैं तो तेरा प्यार लूंगा
कहना सुन भंवरे का हँस के खिल गई कली
किसी लालच की बात ना कली पर चली प्यार देकर निखरने लगी है हाय रे
कली भंवरे पे मरने ...