दिल का अफसाना सुनाते हैं चलेंगे तीर जब दिल पर - The Indic Lyrics Database

दिल का अफसाना सुनाते हैं चलेंगे तीर जब दिल पर

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - कोहिनुर | वर्ष - 1960

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दिल का अफ़साना सुनाते हैं सुनाने वाले
काश समझें ना मोहब्बत को मिटाने वाले
प्यार का नाम भी लेते हुए डर लगता है
तीर खेंचे हुए बैठे हैं ज़माने वालेचलेंगे तीर जब दिल पर तो अरमानों का क्या होगा
तुटेगा घर तो फिर इस घर के मेहमानों का क्या होगासुना है इश्क़ में आते हैं दिन आहों के नालों के
अभी तक तो सलामत है गरेबाँ इश्क़ वालों के
अगर फ़सल-ए-बहार आई तो दीवानों का क्या होगा
चलेंगे तीर जब ...उठा है शोर-ए-मातम शमा तेरे जाँ-निसारों में
अभी तो दिल ही जलते हैं मोहब्बत के शरारों में
किसी ने पर जला डाले तो परवानों का क्या होगा
चलेंगे तीर जब ...अधूरे हैं अभी पूरे नहीं किस्से मोहब्बत के
अभी तो दिल में पोशीदाँ हैं अफ़साने क़यामत के
हक़ीक़त हो गई ज़ाहिर तो अफ़सानों का क्या होगा
चलेंगे तीर जब ...सुना है जाम-ए-उल्फ़त में बला का जोश है साक़ी
अभी तो दिल है क़ाबू में अभी तो होश है बाक़ी
अगर पी कर बहक उठे तो मस्तानों का क्या होगा
चलेंगे तीर जब ...