ग़रीबों पर दया कर के बड़ा एहसान करते हो - The Indic Lyrics Database

ग़रीबों पर दया कर के बड़ा एहसान करते हो

गीतकार - डाॅ सफदर"आह" | गायक - अशरफ खान | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - रोटी | वर्ष - 1942

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ग़ुज़र गया वो ज़माना कैसाकैसा

ग़ुज़र गया वो ज़माना कैसाकैसा

ग़ुज़र गया वो ज़माना

कैसाकैसा

हँसीख़ुशी की बहार थी जिसमें

ग़ुज़र गया वो ज़माना

कैसाकैसा

ग़ुज़र गया

फूल तमन्नावों के जिसमें

क़दमक़दम पर खिलते थे

अब वो ही रसता उजड़ा बन है

जिसपे है आनाजाना

कैसाकैसा

ग़ुज़र गया वो ज़माना

हँसता हुआ

हँसता हुआ एक राज़ है जिससे

कोनाकोना रोशन था

ऐसा बुझा के

ऐसा बुझा के दुबारा जिसको

मिनतिन ? नहीं जलाना

कैसाकैसा

ग़ुज़र गया वो

गया ज़माना

गया ज़माना फिर आयेगा

जाने वाली जानेगी

हमको न पहचानेगा जो कोई

हम भी

हम भी क्यूँ पहचानेंगे

आ जा आ जा