ग़म-ए-आशियाना सताएगा कब तक - The Indic Lyrics Database

ग़म-ए-आशियाना सताएगा कब तक

गीतकार - मोहन सिंह | गायक - सुरैया | संगीत - सज्जाद हुसैन | फ़िल्म - अठारह सौ संतावन/1857 | वर्ष - 1946

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गोकुल की एक नार छबीली

गोकुल की एक नार छबीली

जमुना तट पर आई रे

गोरा बदन और पतली कमरिया

चाल चलत इठलाई रे

पग पायल ने रुनुझुनु रुनुझुनु

मीठे सुर में गाई रे

पुरवैया ने छेड़ के साड़ी

सर से कुछ सरकाई रे

चोटी खुल के लहराई है

ज्यूँ नागन बलखाई रे

इत उत ढूँढ़े अपने पी को

सुध बुध कुछ बिसराई रे

मानो राधे प्रेम की मूरत

ढूँढ़े कृष्ण कन्हाई रे