मझधार में डूब गई काहे अब रे बालम - The Indic Lyrics Database

मझधार में डूब गई काहे अब रे बालम

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - सुरिंदर कौर | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - बुज़दिल | वर्ष - 1951

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मझधार में कश्ति डूब गई
कुच्च ऐसा नसीबा फूट गया
जब हाथ बढ़े दामन की तरफ़
दामन भी तुम्हारा रूठ गया
काहे अब रे बलम
धीरे धीरे तेरा ग़म ढाये दिल पे सितम
काहे अब रे बलम ...तू लाख सता, तू लाख रुला
उलफ़त को मिटाना मुश्किल है
क़दमों पे तेरे जो डाल दिया
उस दिल को उठाना मुश्किल है
कैसे बाज़ाएँ हम
धीरे धीरे तेरा ग़म ढाये दिल पे सितम
कैसे बा ज़ाएँ हम ...