डोली में बिठाई के कहार - The Indic Lyrics Database

डोली में बिठाई के कहार

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - सचिन देव बर्मन | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - अमर प्रेम | वर्ष - 1971

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हो रामा रे, हो रामा
डोली में बिठाई के कहार
लाए मोहे सजना के द्वार
बीते दिन ख़ुशियों के चार
देके दुःख मन को हजार
मर के निकलना था..
मर के निकलना था घर से सांवरिया के
जीते जी निकलना पड़ा
फूलों जैसे पाओं में पड़ गए छाले रे
कांटों पे जो चलना पड़ा
पतझड़, हो बन गई पतझड़
हो बन गई पतझड़ बैरन बहार
जितने हैं आँसू मेरी अँखियों में उतना नदिया में नाही रे नीर
ओ लिखनेवाले तूने लिख दी ये कैसी मेरी टूटी नैया जैसी तक़दीर
रूठा मांझी ओ मांझी
रूठा मांझी ओ मांझी रे रूठा मांझी टूटे पतवार
टूटा पहले ये मन
टूटा पहले मन अब चूड़ियाँ टूटी
हुए सारे सपने यूँ चूर
कैसा हुआ धोखा, आया पवन का झोंका
मिट गया मेरा सिंदूर
लूट गए ओ रामा लूट गए
ओ रामा मेरे लूट गए सोलह सिंगार