गाए जा गीत मिलन क - The Indic Lyrics Database

गाए जा गीत मिलन क

गीतकार - शकील | गायक - मुकेश | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1948

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घिरघिर बन में घोर घटा छाई

घिरघिर बन में घोर घटा छाई

ओ मोरे याद तेरी आई

घिरघिर घिरघिर गिरें झरोके

और कौन मिलने के मौक़े

ओ बरखा दुलहन बन के आई

घिरघिर बन में घोर घटा छाई

ओ मोहे याद तेरी आई

सावन आया पिया लो जी

तुम भी तो घर आओ ना

अज मोरे अंगना में आओ

आओ आ के जाओ न

कलप कलप हारी

और मोहे कलपाओ न

ओ मोहे याद तेरी आई

घिरघिर बन में घोर घटा छाई

ओ मोहे याद तेरी आई

खि.ड्की खोल खिड़ी नैनन की

कुछ सुन जा कुछ कह जा रे मन की

ओ मैं ने कैसी आग लगाई

घिरघिर बन में घोर घटा छाई

ओ मोहे याद तेरी आई

घिरघिर बन में घोर घटा छाई

इरादा था कि शादी कर के अपना घर बसाएं गे

कभी आलू, कभी गोभी, कभी मुर्ग़ा पकाएं गे

मगर हर रोज़ पतली दाल खाई, आप क्यूण रोए