एक तीर चला - The Indic Lyrics Database

एक तीर चला

गीतकार - नक्षबी | गायक - राजकुमारी | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - महल | वर्ष - 1949

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घर यहाँ बसाने आए थे

घर यहाँ बसाने आए थे

हम घर ही छोड़ चले

अपना था जिन्हें समझा हमने

वो भी दिल तोड़ चले

सोचा था सजन आएँगे आएँगे बहारे लाएँगे

हम एक चमन के दो पंछी बन जाएँगे

संध्या की बेला द्वार पे आ कर वो मुँह मोड़ चले

जीवन में कभी इक प्यार का दीपक जलता था

मिलने के लिए दिल घुलघुल के मचलता था

जब साथ पतंगा छोड़ दिया तो दिया अकेल जले