शरबी शराबी ये सावन का मौसमी - The Indic Lyrics Database

शरबी शराबी ये सावन का मौसमी

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - रामलाल | फ़िल्म - सेहरा | वर्ष - 1963

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शराबी शराबी ये सावन का मौसम
ख़ुदा की क़सम खूबसूरत न होता
अगर इसमे रंग े मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ये सावन का मौसम

सुहानी सुहानी ये कोयल की कूक
उठाती है सीने में रह रह के हुके
छलकती है मस्ती घने बादलों से
उलझती है नज़ारे हसीं आंचलों से
ये पुरनूर मज़ार
ये पुरनूर मज़ार ये रगीन आलम
ख़ुदा की क़सम खूबसूरत न होता
अगर इसमे रैग े मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ये सावन का मौसम

गुलाबी गुलाबी ये फूलों के चहरे
ये रिमझिम के मोती ये बूंदो के सहारे

कुछ ऐसी बहार आ गई है चमन में
के दिल खो गया है इसी अजुमन में
ये महाकि नशीली
ये महाकि नशीली हवाओ का परचम
ख़ुदा की क़सम खूबसूरत न होता
अगर इसमे रैग े मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ये सावन का मौसम

ये मौसम सलोना अजब गुल खिलाए
उमगे उभार उम्मीदें जगाई
वो बेताबियाँ दिल से टकरा रही है
के रातों की नींदें उड़ी जा रही है
ये सहर ए जवानी
ये सहर ए जवानी ये ख्वाबो का आलम
ख़ुदा की क़सम खूबसूरत न होता
अगर इसमे रैग े मुहब्बत न होता
शराबी शराबी ये सावन का मौसम.