आँखों में क्या जी, रुपहला बादल - The Indic Lyrics Database

आँखों में क्या जी, रुपहला बादल

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - आशा - किशोर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - नौ दो ग्यारह | वर्ष - 1957

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आँखों में क्या जी, रुपहला बादल
बादल में क्या जी, किसी का आँचल
आँचल में क्या जी, अजब सी हलचल
रंगी है मौसम, तेरे दम की बहार है
फिर भी है कुछ कम, बस तेरा इंतजार है
देखने में भोले हो पर, हो बड़े चंचल
झुकती हैं पलके, झुकने दो और झूम के
उड़ती हैं जुल्फे, उड़ने दो होंठ चूम के
देखने में भोले हो पर, हो बड़े चंचल
झूमे लहराये, नैना मिल जाये नैन से
साथी बन जाये, रस्ता कट जाये चैन से
देखने में भोली हो पर, हो बड़ी चंचल