जिगर की आग से इस दिल को जलता देखते जाओ - The Indic Lyrics Database

जिगर की आग से इस दिल को जलता देखते जाओ

गीतकार - अर्श लखनवी | गायक - नूरजहां | संगीत - फ़िरोज़ निज़ामी | फ़िल्म - डोपट्टा (पाकिस्तानी-फिल्म) | वर्ष - 1952

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जिगर की आग से इस दिलको जलता देखते जाओ
लुटी जाती है अर्मानों की दुनिया देखते जाओलगी है आग दिल में आँख से आँसू बरसते हैं
भरी बरसात में इस घर को जलता देखते जाओइसी दिन के लिए बोलो तुम्हें क्या हमने चाहा था
कि हम बरबाद हों और तुम तमाशा देखते जाओबहा कर ले चली हैं ग़म की मौजें दिल की कश्ती को
हमारे डूब जाने का नज़ारा देखते जाओ