अँखियों के झरोखों से मैने देखा जो सांवरे - The Indic Lyrics Database

अँखियों के झरोखों से मैने देखा जो सांवरे

गीतकार - रवींद्र जैन | गायक - हेमलता | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - अँखियों के झरोखों से | वर्ष - 1978

View in Roman

अँखियों के झरोखों से मैने देखा जो सांवरे
तुम दूर नज़र आए, बड़ी दूर नज़र आए
बंद कर के झरोखों को ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम ही मुस्काए, मन में तुम ही मुस्काए
एक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे, हाए मुझे कुछ होने लगा है
एक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के
यूँ ही उम्र गुज़र जाए, तेरे साथ गुज़र जाए
जीती हूँ तुम्हें देखके मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनिया है वहीं पे
दिन रात दुआ माँगे मेरा मन तेरे वास्ते
कहीं अपनी उम्मीदों का कोई फूल ना मुरझाए
मैं जब से तेरे प्यार के रंगो में रंगी हूँ
जगते हुए सोई रही, नींदो में जगी हूँ
मेरे प्यार भरे सपने, कहीं कोई न छीन ले
मन सोच के घबराए, यही सोच के घबराए
कुछ बोल के खामोशियाँ तड़पाने लगी है
चुप रहने पे मजबूरियाँ याद आने लगी हैं
तू भी मेरी तरह हँस ले, आँसू पलकों पे थाम के
जितनी है खुशी ये भी अश्कों में ना बह जाए
कलियाँ ये सदा प्यार की मुस्काती रहेंगी
खामोशियाँ तुझसे मेरे अफ़साने कहेंगी
जी लूँगी नया जीवन तेरी यादों में बैठ के
ख़ुश्बू जैसे फूलों में उड़ने पे भी रह जाए