न बोल पी पी मोरे अंगना, पंछी जा जा रे जा - The Indic Lyrics Database

न बोल पी पी मोरे अंगना, पंछी जा जा रे जा

गीतकार - शकील | गायक - शमशाद | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - दुलारि | वर्ष - 1949

View in Roman

नगरी मेरी कब तक यूँ ही बरबाद रहेगी

नगरी मेरी कब तक यूँ ही बरबाद रहेगी

दुनिया ऽ

दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी

नगरी मेरी कब तक यूँ ही बरबाद रहेगी

आकाश पे निखरा हुआ है चाँद का मुखड़ा

बस्ती में ग़रीबों की अँधेरे का है दुखड़ा

दुनिया ऽ

दुनिया यही दुनिया है तो क्या याद रहेगी

नगरी मेरी

कब होगा सवेरा

कब होगा सवेरा कोई ऐ काश बता दे

किस वक़्त तक ऐ घूमते आकाश बता दे

इन्सानों पर इन्सान की बेदाद रहेगी

कहकारों से कलियों के चमन गूँज रहा है

झरनों के मधुर राग से बन गूँज रहा है

पर मेरा तो, पर मेरा तो

पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूँज रहा है

पर मेरा तो फ़रियाद से मन गूँज रहा है

कब तक मेरे होंठों पे ये फ़रियाद रहेगी

नगरी मेरी

ऐ चाँद उम्मीदों को मेरी शम्मा दिखा दे

ऐ चाँद उम्मीदों को मेरी शम्मा दिखा दे

डूबे हुए, खोए हुए, सूरज का पता दे

रोते हुए जुग बीत गया अब तो हँसा दे

ऐ मेरे हिमाला, मुझे ये बात बता दे

ऐ मेरे हिमाला, मुझे ये बात बता दे

होगी मेरी बस्ती भी कभी ख़ैर से आबाद

नगरी मेरी बरबाद है बरबाद है बरबाद

बरबाद है बरबाद

नगरी मेरी

जो आँख का आँसू है, जो आहों का धुआँ है

जो आँख का आँसू है, जो आहों का धुआँ है

वारी मेरा दिल उस पे, निछावर मेरी जाँ है

मुजरिम हूँ, गुनाहगार हूँ, उस को ये गुमाँ है

आवाज़ दो इन्साफ़ को इन्साफ़ कहाँ है

आवाज़ दो इन्साफ़ को इन्साफ़ कहाँ है

इक बेकसओमजबूर पे ये ज़ुल्म, ये बेदाद

नगरी मेरी बरबाद है, बरबाद है, बरबाद

बरबाद है, बरबाद

नगरी मेरी