पानाघाट पे देखो आइ मिलन की बेला - The Indic Lyrics Database

पानाघाट पे देखो आइ मिलन की बेला

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी, सहगान | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - नौजवान | वर्ष - 1951

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र : ( पनघट पे देखो आई मिलन की बेला
को : ला ) -२
र : ठुमक-ठुमक राधे चोरी-चोरी आई
को : ओ जी जी जी जी जी जी जी
र : सखियों से पूछे कित छुपे हैं कन्हाई
को : ओ जी जी जी जी जी जी जी
र : हाय बन्सी की धुन सुन सुध बिसराई
को : ओ जी जी जी जी जी जी जी
र : मन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
पनघट पे देखो आई मिलन की बेला
को : लागी : ओ
रूप ये किसका है तेरे
मेरे मन को भा गया -२
कौन ये नैनों में मेरे
रंग बन के छा गया
छा गया रे छा गयाकोई गुप-चुप गुप-चुप गाये
ह्रिदय में चुपके चुपके चुपके
धड़कन में बसता जाये
रे चुपके चुपके चुपके चुपकेमन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
कुंजन में देखो आई मिलन की बेलाओ
आज नैनों में किसी के
मेरी दुनिया खो गई -२
हो गया मेरा कोई
और मैं किसी की हो गई
हो गई रे हो गई( झन झनन झनन लहराई
पायलिया मोरी मोरी मोरी ) -२
मैं पिया से मिलने आई रे
चोरी चोरी चोरी चोरीमन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
कुंजन में देखो आई मिलन की बेलाको : ओ जी जी जी जी जी जी जी
र : मन हुआ बावरा नहीं मनाये माने रे
पनघट पे देखो आई मिलन की बेला
को : ला
र : बेला
को : ला