ताज नगमा है मुमताज तुझे देखा - The Indic Lyrics Database

ताज नगमा है मुमताज तुझे देखा

गीतकार - नक़्श लायलपुरी, सैयद गुलरेज़? | गायक - हरिहरन, प्रीति उत्तम | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - ताज महल | वर्ष - 2005

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प्री : दिलरुबा -२
ह : ताज नग़्मा है मोहब्बत के धड़कते साज़ का
ये है वो आईना जिसमें अक्स है मुमताज काप्री : दिलरुबा
ह : ( मुमताज तुझे देखा जब ताजमहल देखा
फिर आज की आँखों से गुज़रा हुआ कल देखा ) -२प्री : दिलरुबा -२
ह : मिलते ही निगाहों में सौ रंग लगे खिलने
तू मेरी मोहब्बत है मुझसे ये कहा दिल ने
ऐ जान तुझे मैंने जब पहले-पहल देखा
मुमताज तुझे देखा जब ताजमहल देखा
फिर आज की आँखों से गुज़रा हुआ कल देखाह : आऽ
जब ले के तू अंगड़ाई कुछ और क़रीब आई
दामन में मोहब्बत के सिमटी मेरी तनहाई
एक नूर की बारिश में भीगा हुआ पल देखा
मुमताज तुझे देखा जब ताजमहल देखा
फिर आज की आँखों से गुज़रा हुआ कल देखाह : आऽ
ये हँसती हुई रातें लहराते हुये गेसू
प्री : आऽ
नग़्मा तेरी ख़ामोशी आवाज़ तेरी जादू
मैंने तेरी बातों में अंदाज़-ए-ग़ज़ल देखा
मुमताज तुझे देखा जब ताजमहल देखा
फिर आज की आँखों से गुज़रा हुआ कल देखाप्री : दिलरुबा
ह : मैंने तेरी आँखों का एक ख़ाब सजाया है
तस्वीर-ए-वफ़ा बनकर जो सामने आया है
तूने ही नहीं इसको मुमताजमहल देखा
मुमताज तुझे देखा जब ताजमहल देखा
फिर आज की आँखों से गुज़रा हुआ कल देखा