छूट जाएँ ग़म के हाथों से जो निकले दम कहीं - The Indic Lyrics Database

छूट जाएँ ग़म के हाथों से जो निकले दम कहीं

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - लता | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - राजधानी | वर्ष - 1956

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छूट जाएँ ग़म के हाथों से जो निकले दम कहीं
ख़ाक़ ऐसी ज़िन्दगी पर तुम कहीं और हम कहीं

दिन ख़ुशियों के लुट गए ओ साजना
छूट गया तेरा साथ रे
आई जुदाई की रात रे-2

मेरे लिए तूने दुनिया लुटाई
तुझको मिला क्या दर्द-ए-जुदाई
बार-बार अँखियों में घूमे मोरे साजना
पहली मिलन की रात रे
छूट गया तेरा ...

मेरे जहाँ से तेरे जहाँ तक
ऊँची दीवारें सैयाँ हैं आसमाँ तक
कैसे हटाऊँ इन्हें कैसे तेरे पास आऊँ
कैसे कहूँ मैं दिल की बात रे
आई जुदाई की रात ...$