जा रे चंद्र जा रे चंद्र और कहीं जा रे - The Indic Lyrics Database

जा रे चंद्र जा रे चंद्र और कहीं जा रे

गीतकार - पं. नरेंद्र शर्मा | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सुधीर फड़के | फ़िल्म - सजनी | वर्ष - 1956

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(जा रे चंद्र, जा रे चंद्र
और कहीं जा रे)-२
गोकुल के कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा रे चंद्र जा रेबृन्दावन ? है सूना मन मेरा
निकला कुछ ऐसी कर चलन सवेरा
झरते नयन, भरते नयन, डूब गये सारे
गोकुल के कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा रे चंद्र जा रेनैं नीर, मन में पीर, कितनी ? है कहान
है ये प्रीत, प्रीत सखी, पहले क्यून न जानी
? कि सुन ? करे विकल मन पुकारे
गोकुल के कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा रे चंद्र जा रेप्राण हरे ? करे मुरलि सुन आली
मोहन मन ? सखी मोहन वनमाली
कैसे रहे प्राण ? प्यारे
गोकुल के कृष्ण चंद्र जायेंगे सकारे
जा रे चंद्र जा रे