लाखों हैं निगाह में जिंदगी की राह में - The Indic Lyrics Database

लाखों हैं निगाह में जिंदगी की राह में

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - फिर वही दिल लाया हूं | वर्ष - 1963

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लाखों हैं निगाह में, ज़िंदगी की राह में
सनम हसीन जवाँ
होठों में गुलाब है, आँखों में शराब है
लेकिन वो बात कहाँ(लट है किसी की जादू का जाल
रंग डाले किसी पे किसी का जमाल)-२
तौबा ये निगाहें, के रोकती है राहें
ले लेके तीर कमान
लाखों हैं निगाह में ...(जानूं ना दीवाना मैं दिल का
कौन है खयालों की मलिका)-२
भीगी भीगी रुत की छाओं तले
मन को कहीं वो आन मिले
कैसे पहचानूँ, कि नाम नहीं जानूँ
ढूँढे मेरे अरमान
लाखों हैं निगाह में ...(कभी कभी वो एक मह-जबीं
डोलती है दिल के पास कहीं)-२
के हैं जो यही बातें
तो होंगी मुलाकातें
कभी वहाँ नहीं तो यहाँहाय, लाखों हैं निगाह में ...