चल दिए बंदा नवाज़ - The Indic Lyrics Database

चल दिए बंदा नवाज़

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - मिस्टर एंड मिसेज 55 | वर्ष - 1955

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र: चल दिये बन्दा नवाज़ छेड़ कर मेरे दिल का साज़ -२
हम तरसते ही रहे, जलवे बरसते ही रहे
गी: सुनिये मिस्टर चालबाज़, बनिये ना बड़े तीरंदाज़ -२
और कोई घर देखिये दिल को यहाँ मत फेंकिये
सुनिये मिस्टर चालबाज़, बनिये ना बड़े तीरंदाज़र: ( है मुझमें तू बन के दर्द-ए-जिगर
दिल में खटकती है तेरी नज़र ) -२
गी: ( बस बस तुम्हें ये सुनें ऐ जनाब
कर डाला उल्फ़त का ख़ाना ख़राब ) -२
र: मान जा ऐ संग दिल, दिल से मिला ले मेरा दिल
गी: सुनिये मिस्टर चालबाज़, बनिये ना बड़े तीरंदाज़ -२
और कोई घर देखिये दिल को यहाँ मत फेंकिये
सुनिये मिस्टर चालबाज़, बनिये ना बड़े तीरंदाज़गी: ( दामन से खेंचो ज़रा हाथ को
समझो ज़रा अपनी औकात को ) -२
र: ( औकात मेरी न पूछें हुज़ूर
हूँ आपका मुझको ये है ग़ुरूर ) -२
गी: यूँ न रिश्ता जोड़िये दामन हमारा छोड़िये
र: चल दिये बन्दा नवाज़ छेड़ कर मेरे दिल का साज़ -२
हम तरसते ही रहे, जलवे बरसते ही रहे
पर चल दिये बन्दा नवाज़ छेड़ कर मेरे दिल का साज़र: ( माना के बिगड़े हैं मेरे नसीब
उल्फ़त न समझे अमीर-ओ-ग़रीब ) -२
गी: ( छोड़ो ये उल्फ़त की बारीकियाँ
रस्ता लो जंगल का मजनू मियाँ ) -२
र: छोड़ के अब तेरा दर जाये ये दीवाना किधर
गी: सुनिये मिस्टर चालबाज़, बनिये ना बड़े तीरंदाज़ -२
और कोई घर देखिये दिल को यहाँ मत फेंकिये
र: चल दिये बन्दा नवाज़ छेड़ कर मेरे दिल का साज़ -२
हम तरसते ही रहे, जलवे बरसते ही रहे
पर चल दिये बन्दा नवाज़ छेड़ कर मेरे दिल का साज़