छुपा ले दाग़-ए-जिगर दाग़-ए-दिल ज़माने से - The Indic Lyrics Database

छुपा ले दाग़-ए-जिगर दाग़-ए-दिल ज़माने से

गीतकार - एस एच बिहारी | गायक - लता | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - बहू | वर्ष - 1955

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छुपा ले दाग़-ए-जिगर दाग़-ए-दिल ज़माने से
कि दर्द और बढ़ेगा इन्हें दिखाने से

ऐ दर्द-ए-जिगर, फ़रियाद न कर
बहते हैं तो आँसू बहने दे
साहिल की तमन्ना करता जा
मँझधार में कश्ती रहने दे

हमको तो ज़माने से अपना
दुख-दर्द छुपाए रहना है
हो जाए न अपनी रुसवाई
हर ज़ुल्म को हँस कर सहने दे

दिल सौंप चुके हैं हम जिन को
अब उनसे शिकवा क्या करना
जिस हाल में रखना चाहें वो
उस हाल में हम को रहने दे$