जे हम तुम चोरी से - The Indic Lyrics Database

जे हम तुम चोरी से

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता - मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - धरती कहे पुकार के | वर्ष - 1969

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जे हम तुम चोरी से
बँधे एक डोरी से
जइयो कहाँ ए हुजूर
अरे ई बन्धन है प्यार का
कजरावाली फिर तू अईसे काहे निहारे
ई चितवन के गोरी माने तो समझा जा रे
मतलबवा एक है एक है नैनन पुकार का
देखो बादर आए पवन के पुकारे
उल्फ़त मेरी जीती अनाड़ी पिया हारे
आएगा रे मजा, रे मजा, अब जीत हार का
घूँघट में से मुखड़ा दिखे अभी अधूरा
आ बईया में आ जा मिलन तो हो पूरा
ये मिलना तो नहीं कुछ एक बार का