तू पी और जी, तू जी और पी - The Indic Lyrics Database

तू पी और जी, तू जी और पी

गीतकार - अमित खन्ना | गायक - किशोर कुमार | संगीत - राजेश रोशन | फ़िल्म - देस परदेस | वर्ष - 1978

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तू पी और जी, तू जी और पी
सर्दी में जब पिओगे यारों, गरम कोट बन जाएगा ये
आई गर्मी तो मदिराजल ठंडक तुमको पहूँचायेगा
अरे रंग भरेगा सपनों में आँखों में जब ये बस जाएगा
मन को तेरे मीत तेरा बस यहीं कहीं पे मिल जाएगा
काहे को तू फिरे अकेला, देख ज़रा मौजों का मेला
आ तू भी आ लहरा
अरे आओ न अकेले कभी रहो न अकेले कभी
सभी से ये कहे ये कवी
कि ऊपर नीचे आगे पीछे छाई कैसी मस्ती
ज़रा पी और जी
ये गुजराती वो बंगाली, ये दिलवाला वो दिलवाली
मैं देसी हूँ तू परदेसी, फिर भी धडकन है एक जैसी
ये मद्रासी वो पंजाबी हर ताले की है इक चाबी
प्यार के मारे सब बेचारे गोरे काले ये मतवाले
अरे वर्कर हो या मालिक मिल का
रात का प्यासा, भूखा दिन का
आ तू आ न घबरा
उधार न चढाओ कभी, पैसे साथ लाओ अभी
अभी ये दूकान है खुली
कि पहली पहली बिक्री मेरी बेचूं मैं तो सस्ती
जरा पी और जी
घर वालों की याद सताए या आँखों में आंसूं आए
हमको देखो घूँट हँसी के पीकर हम कैसे मुस्काए
किस में कितने राज़ छुपे हैं पूछो मेरे दिल से तुम
बैठे बैठे महफ़िल से होता है कैसे कोई गुम
अरे दुनिया सारी हिल जाएगी
फटी जेब भी सील जाएगी
आ तू भी बन जा राजा
अरे लफड़ा न करो कभी
झगड़ा न करो कभी
भंगड़ा तो पाओ ज़रा जट जी
अरे बल्ले बल्ले बचके कहीं डूबे न ये कश्ती
जरा पी और जी
कहता ये टोनी