ये चार दिन बहार के भुला दो जिंदगी के गम - The Indic Lyrics Database

ये चार दिन बहार के भुला दो जिंदगी के गम

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - आशा भोंसले, किशोर कुमार | संगीत - सज्जाद | फ़िल्म - रुखसाना | वर्ष - 1955

View in Roman

कि : ये चार दिन बहार के
हँसी-ख़ुशी ग़ुज़ार के
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म -३
आ : निसार तुम पे दिल मेरा
कटेगी ज़िन्दगी सदा
तुम्हारे प्या में सनम
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म -२आ : खिल्लि हुई है चाँदनी
छिड़ी हुई है रागिनी
कि : नज़र-नज़र में मस्तियाँ
अदा-अदा में शोख़ियाँ
आ : हमें तुम्हारी जुसतजू
तुम्हें हमारी आरज़ू
बढ़े ये प्यार दिन-ब-दिन
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म -२आ : तुम्हारे दिल में हम रहें
हमारे दिल में तुम रहो
कि : किसी से अपनी दास्ताँ
न हम कहें न तुम कहो
ज़माना चाहे कुछ कहे
ज़फ़ा करे सितम करे
जुदा न होंगे तुम से हम
भुला दो ज़िन्दगी के ग़म -२
दो : भुला दो ज़िन्दगी के ग़म -२