जली जो शाक ए चमन एक मैं हुं एक मेरी - The Indic Lyrics Database

जली जो शाक ए चमन एक मैं हुं एक मेरी

गीतकार - कैफ इरफानी | गायक - तलत महमूद | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - तराना | वर्ष - 1951

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वेर्बल प्रेलुदे:
जली जो शाख-ए-चमन, साथ बाग़बाँ भी जला
जला के मेरे नशेमन को आस्मां भी जलाएक मैं हूँ एक मेरी बेक़सी की शाम है
अब तो तुझ बिन ज़िंदगी भी मुझ पे इक इल्ज़ाम हैदिल पे क्या गुज़री तेरे जाने से कोई क्या कहे
साँस जो आती है वो भी दर्द का पैग़ाम हैआँसूओं मुझ पर हँसो मेरे मुक़द्दर पर हँसो
अब कहाँ वो ज़िंदगी जिस का मुहब्बत नाम है