बचना ज़रा ये ज़माना है बुरा - The Indic Lyrics Database

बचना ज़रा ये ज़माना है बुरा

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - मिलाप | वर्ष - 1955

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बचना ज़रा ये ज़माना है बुरा
कभी मेरी गली में न आनामेरी गली में आने वाले हो जाते हैं ग़म के हवाले
इन राहों से जो भी गुज़रे सोच समझ कर दिल को उछाले
बड़े बड़े दिल यहाँ बनते हैं निशाना
बचना ज़रा यह ज़माना ...नैन लड़ा कर दिल को लुभाना दिल को लुभा कर पास बुलाना
पास बुलाकर खुद घबराना तेरा भी जवाब नहीं वाहआँख मिलाकर आँख चुराना आँख चुरा कर दिल को जलाना
दिल को जलाकर होश भुलाना होश भुलाकर मजनूं बनाना
इन लैलाओं का है यह खेल पुराना
बचना ज़रा यह ज़माना ...शोख़ी समझें शर्म-ओ-हया को आप बुलाएं अपनी कज़ा को
और फिर मांगे हमसे हरजाना
बचना ज़रा यह ज़माना ...