दो नैनों के पंख लगाकर - The Indic Lyrics Database

दो नैनों के पंख लगाकर

गीतकार - गुलजार | गायक - फ़ैयाज़ | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - शक़ | वर्ष - 1976

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दो नैनों के पंख लगाकर
मन पांखी उड़ जाए
हाथ छुड़ाकर दूर चला है
दूर से पास बुलाए
जाने बूझे चेहरे मन को अनजाने लगते हैं
कोई मुझसे आकर मेरी फिर पहचान कराए
नील गगन में सागर देखे, सागर में आकाश
अनहोनी को रोए मनवा होनी से घबराए