तू मेरे सामने है, तेरी जुल्फें हैं खुली - The Indic Lyrics Database

तू मेरे सामने है, तेरी जुल्फें हैं खुली

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - सुहागन | वर्ष - 1964

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तू मेरे सामने है, तेरी ज़ुल्फ़ें हैं खुली
तेरा आँचल है ढला, मैं भला होश में कैसे रहूँ
तेरी आँखें तो छलकते हुए पैमाने हैं
और तेरे होंठ लरजते हुए मयखाने हैं
मेरे अरमान इसी बात पे दीवाने हैं
तू जो हँसती है तो बिजली सी चमक जाती है
तेरे सांसों से गुलाबों की महक आती है
तू जो चलती है तो कुदरत भी बहक जाती है