अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िन्दगी - The Indic Lyrics Database

अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िन्दगी

गीतकार - Nil | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - शरारत | वर्ष - 1959

View in Roman

अजब है दास्ताँ तेरी ऐ ज़िन्दगी
कभी हँसा दिया रूला दिया कभी
कली खिलने न पाई थी कि शाख़ ही उजड़ गई
अभी ज़रा से थे कि हम से प्यारी माँ बिछड़ गयी
ओ आसमां बता किया हमने थे क्या
जो मिली ये सज़ा
लड़कपन में ही ये दुनिया लूटी
तुम आईं माँ की ममता लिए तो मुस्कुराए हम
कि जैसे फिर से अपने बचपन में लौट आए हम
तुम्हारे प्यार के इसी आँचल तले फिरसे दीपक जले
ढला अँधेरा जगी रोशनी
मगर बड़ा ही संगदिल है ये मालिक तेरा जहां
यहाँ माँ बेटों पे भी लोग उठाते हैं उँगलियाँ
कली ये प्यार की झुलस के रह गई
हर तरफ आग थी
हँसाने आई थी रुलाकर चली