तेरी अदा पर निसार करने - The Indic Lyrics Database

तेरी अदा पर निसार करने

गीतकार - असद भोपाली | गायक - तलत | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - दरबार | वर्ष - 1956

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तेरी अदा पर निसार करने, मैं दिल को लाया तेरी गली में
मैं दिल को लाया तेरी गली में
ज़माने भर का हसीन तोहफ़ा, मैं लेके आया तेरी गली में
मैं लेके आया तेरी गली में
मैं ऐसी काफ़िर नज़र के सदक़े, कि जिसने मेरा ग़ुरूर तोड़ा
जो सर कहीं भी न झुक सका था, वो सर झुकाया तेरी गली में
वो सर झुकाया तेरी गली में
बड़े मज़े का हुआ ये सौदा, तेरी अमानत तुझी को दे दी
जो दिल मिला था तेरी गली में, वो दिल लुटाया तेरी गली में
वो दिल लुटाया तेरी गली में $