चार दिन की चाँदनी थी फिर अंधेरी रात है - The Indic Lyrics Database

चार दिन की चाँदनी थी फिर अंधेरी रात है

गीतकार - शकील | गायक - सुरैया | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - NA | वर्ष - 1949

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चलो घूँघट में गुइयाँ छुपा के

चलो घूँघट में गुइयाँ छुपा के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

करें घायल ये मिल के मिला के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

ल : इन्हें तुझसे है प्यार, होऽ जाये तुझपे निसार

गी : डर लागे हमारे बहाने

करे न कहीं औरों पे वार

इन्हें राखो सखी समझा के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

को : चलो घूँघट में गुइयाँ छुपा के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

करें घायल ये मिल के मिला के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

गी : कहाँ सीखे ये चलना चलाना

कहो सच्ची न करना बहाना

कहाँ सीखे

कहाँ सीखे ये चलना चलाना

कहो सच्ची न करना बहाना

ल : मोहे छेड़ो न

मोहे छेड़ो न रो दूँगी

अच्छा न इतना सताना

गी : कहीं लागे किसी से शरमा के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

को : चलो घूँघट में गुइयाँ छुपा के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना

करें घायल ये मिल के मिला के

गजब तोरे नैना, सितम तोरे नैना