संसार से भागे फिरते हो - The Indic Lyrics Database

संसार से भागे फिरते हो

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चित्रलेखा | वर्ष - 1964

View in Roman

सन्सार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोग को भी अपना ना सके
उस लोक में भी पछताओगे
सन्सार से भागे फिरते हो( ये पाप है क्या ये पुण्य है क्या
रीतों पर धर्म की मोहरें हैं ) -२
रीतों पर धर्म की मोहरें हैं
हर युग में बदलते धर्मों को
कैसे आदर्श बनाओगे
सन्सार से भागे फिरते हो( ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे क्या जानो ) -२
तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचेता का होगा
रचना को अगर ठुकराओगे
सन्सार से भागे फिरते हो( हम कहते हैं ये जग अपना है
तुम कहते हो झूठा सपना है ) -२
तुम कहते हो झूठा सपना है
हम जनम बिता कर जायेंगे
तुम जनम गँवा कर जाओगेसन्सार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
सन्सार से भागे फिरते हो