तेरे तीर-ए-नज़र का बलम दिल - The Indic Lyrics Database

तेरे तीर-ए-नज़र का बलम दिल

गीतकार - मजरूह | गायक - आशा, रफी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - भागम भाग | वर्ष - 1956

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तेरे तीर-ए-नज़र का बलम दिल निशाना हुआ
तेरी-मेरी मोहब्बत का आज एक फ़साना हुआ
नाम सुनते ही तेरा सनम मैं दीवाना हुआ
तुझको दिल में बसाए हुये एक ज़माना हुआ
बलमा तेरी नज़र से नज़र जो मिली
फूल बनने लगी मेरे दिल की कली
तुम जो हमसे मिले, शिकवे दिल के चले, लब से निअक्ली सदा
तेरी-मेरी मोहब्बत का आज एक फ़साना हुआ
नाम सुनते ही तेरा सनम मैं दीवाना हुआ
कुछ न अपनी ख़बर है न दिल का पता
तेरी बातों ने कैसा ये जादू किया
डाल कर एक नज़र, छीना मेरा जिगर, तूने ऐ दिलरुबा
नाम सुनते ही तेरा सनम मैं दीवाना हुआ
तेरी-मेरी मोहब्बत का आज एक फ़साना हुआ
मिल गये हो तो फिर अब न होना जुदा
मेरी साँसों में आ मेरे दिल में समा
कोई हमसे सुने, हाँ ये क्या चीज़ है, तेरी ज़ालिम अदा
तेरी-मेरी मोहब्बत का आज एक फ़साना हुआ
नाम सुनते ही तेरा सनम मैं दीवाना हुआ
झूमता हूँ तेरा जाम-ए-उल्फ़त पिये
भूल बैठा ज़माने को तेरे लिये
भूलना ना मुझे अब दिवाने को है एक तेरा आसरा
नाम सुनते ही तेरा सनम मैं दीवाना हुआ
तुझको दिल में बसाए हुये एक ज़माना हुआ
तेरे तीर-ए-नज़र का बलम दिल निशाना हुआ
तेरी-मेरी मोहब्बत का आज एक फ़साना हुआ$