घर की रौनक है घरवाली - The Indic Lyrics Database

घर की रौनक है घरवाली

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - गीता दत्त, किशोर कुमार | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - बंदी | वर्ष - 1957

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गी: घर की रौनक है घरवाली -२
कि: हो हो हो हो हो हो होऽ
एक पाट से चले न चक्की
एक हाथ से बजे न ताली
दो: घर कि रौनक है घर्वालि, घर कि रौनक है घर्वालि
एक पात से चले न चक्कि एक हाथ से बजे न तालि
घर कि रौनक है घर्वालिचोर्न, एत्च.गी: एक कुँवारे का घर देखा देख के आय रोना
कि: ओऽ ओऽ
गी: एक कुँवारे का घर देखा देख के आय रोना
तड़प रहा था एक औरत की ज़ात को कोना-कोना
कि: अरे उल्टा पड़ा हुआ था लोटा और खड़ी थी थाली
गी: घर की रौनक है घरवाली
दो: एक पाट से चले न चक्की
एक हाथ से बजे न ताली
घर की रौनक है घरवाली
कि: ह्म्म ह्म्म अ ह्म्म ह्म्म्म्म्म्म ह्म्म ह्म्म अ ह्म्म ह्म्म्म्म्म्म ह्म्म ह्म्म अ ह्म्म ह्म्म्म्म्म्म
ह्म्म ह्म्म अ ह्म्म ह्म्म्म्म्म्म ह्म्म ह्म्म अ ह्म्म ह्म्म्म्म्म्म ह्म्म ह्म्म अ ह्म्म ह्म्म्म्म्म्मकि: शादि लाख ग़ुलों की दाती उजड़ा नगर बसाये
बोल तू बोल
गी: शादि लाख ग़ुलों की दाती उजड़ा नगर बसाये
कि: शादि करने वाला यारो बड़े-बड़े फल पाये
यारो बड़े-बड़े फल पाये
गी: बीवी के संग मिले मुफ़्त में
कि: ससुरा सासू साली
दो: घर की रौनक है घरवाली -२
एक पाट से चले न चक्की
एक हाथ से बजे न ताली
घर की रौनक है घरवालीकि: आज हिमालय की चोटी पे हमने है ललकारा
शादी का बाज़ार है चालू रहे न कोई कुँवार
रहे न कोई कुँवार हू
गी: अपनी अपनी ढूँध लो बीवी -२
कि: गोरी हो या काली
दो: घर की रौनक है घरवाली -२
गी: एक पाट से चले न चक्की
एक हाथ से
कि: बजे न ताली
घर की रौनक है घरवाली -२