ऐसा समा न होता, कुछ भी यहाँ न होता - The Indic Lyrics Database

ऐसा समा न होता, कुछ भी यहाँ न होता

गीतकार - अंजान | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - ज़मीन आसमान | वर्ष - 1984

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ऐसा समाँ न होता, कुछ भी यहाँ न होता
मेरे हमराही जो तुम न होते
मौसम ये ना आता, यूँ ना छाती ये घटा
ऐसे गुनगुनाती यूँ ना गाती ये हवा
गुल शबनम के मोती ना पिरोते
मेरे हमराही जो तुम ना होते

राहें वो ही, वादी वो ही, बदला कुछ नहीं
फिर भी तेरे मिलने से है दुनिया क्यों हसीन
कहीं ख्वाबों में हम गुम ना होते
मेरे हमराही जो तुम ना होते
हम तुम जो ना मिलते, तो न छाता ये नशा
होता कुछ भी होता, ये ना होता जो हुआ
यहाँ मिलके ना दिल ऐसे खोते
मेरे हमराही जो तुम ना होते