पलकों पे सपने जैसे ये सांसें बहकी हैं - The Indic Lyrics Database

पलकों पे सपने जैसे ये सांसें बहकी हैं

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - कोरस, केके, महालक्ष्मी | संगीत - शंकर एहसान लॉय | फ़िल्म - ये क्या हो रहा है | वर्ष - 2002

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ऊ येह ऊ येह ऊ येह ऊ येह
पलकों पे सपने जैसे धीरे धीरे छाते हैं
रंग धीमे धीमे आँखों में घुले जाते हैं
पलकों पे सपने ...ये साँसें बहकी हैं
क्यूँ ऐसे बहकी हैं ये साँसें
खिलती हैं ख्वाबों की कलियां
तो महकी हैं ये साँसें
ऊ येह दिल में जो भी अब है कहो ना ऊ येह
ऊ येह होने भी दो अब है जो होना ऊ येह
ऊ येह तुमसे जो मिली नज़र मेरी
तो छा गईं हैं कैसी ये रंगीनियाँ
ज़िंदगी मेरी हुई हसीं
हुआ जवां निगाहों में सारा समां
रंग हैं ढलके ढलके
जाम हैं छलके छलके
ये साँसें बहकी ...तुमसे क्या कहूँ के जो मुझे मिले हो तुम तो कैसा लगा है मुझे
मैं कहीं रहूँ मगर मेरा ये दिल यहीं रहेगा पता है मुझे
पिघला पिघला सा है दिल खोया खोया सा है दिल
ख्वाब हैं जागे जागे सोया सोया सा है दिल
ये साँसें बहकी ...