इश्क़ की बदली चलती हैं - The Indic Lyrics Database

इश्क़ की बदली चलती हैं

गीतकार - कौसर पांडे, विनोद महेंद्र | गायक - शान, श्वेता, श्रद्धा पंडित | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - हासिल | वर्ष - 2003

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श्वे : इश्क़ की बदली चलती है सहरा में लहर सी उठती है
रात के बुझते तारों की आँखों में सहर सी दिखती हैशा : ( आँखों में तुम्हारी दो जहाँनों का नशा
तुम जो नहीं तो क्या है जीने का मज़ा ) -२
बाँहों में ना तुम हो ना आहों में ना तुम हो तो जीना बेवजह
आओ पास आओ यूँ ना शरमाओ ऐ मेरे हमनवा
आँखों में तुम्हारी दो जहाँनों का नशा
तुम जो नहीं तो क्या है जीने का मज़ाजब से तुम्हें देखा मैने हैं सपने जवाँ-जवाँ
तुम जो नहीं कुछ ना कहीं है तुमसे ही ये जहाँ
पास मेरे आ जा साँसों में समा जा तू ख़ुश्बू की तरह
दिल में हमारे ख़ुदा की हो ना हो तुम्हारी है जगहश्र : तुझे चाँद का है अरमान सही हासिल करना आसान नहीं
लाखों तारे पहरा ना दें है ऐसी कोई रात नहींशा : पहली नज़र में ही सनम ये दिल तुमने ले लिया
देखा मुझे भूले से ही ये एहसान कर दिया
चाँद पे है माना सितारों का पहरा मगर हम छू लेंगे
रूठे ये जहाँ भी रूठे आसमाँ भी ना तुमको छोड़ेंगे
आँखों में तुम्हारी दो जहाँनों का नशा
हे तुम जो नहीं तो क्या है जीने का मज़ा
आँखों में तुम्हारी दो जहाँनों का नशा
तुम जो नहीं तो क्या है जीने का मज़ा
बाँहों में ना तुम हो ना आहों में ना तुम हो तो जीना बेवजह
आओ पास आओ यूँ ना शरमाओ ऐ मेरे हमनवा