वोही मिज़ाज वोही चाल है ज़माने की - The Indic Lyrics Database

वोही मिज़ाज वोही चाल है ज़माने की

गीतकार - सईद रही | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - वन्स मोर (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1990

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एक हमें आवारा कहना कोई बड़ा इल्ज़ाम नहीं
दुनिया वाले दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैंवोही मिज़ाज वोही चाल है ज़माने की
हमें भी हो गई आदत फ़रेब खाने कीमैं सारे शहर में तन्हा नहीं हुआ रुस्वा
सज़ा मिली है तुम्हें भी तो दिल लगाने कीशराब मिलती है लेकिन हमारी प्यास से कम
अजीब रस्म है साक़ी यहाँ पिलाने कीनज़र बचा के तुम्हें देखता हूँ महफ़िल में
नज़र लगे न कहीं तुमको इस दिवाने की