ये बहारों के दिन ये सुहाना सामान - The Indic Lyrics Database

ये बहारों के दिन ये सुहाना सामान

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - गुलाम मोहम्मद | फ़िल्म - कुंदन | वर्ष - 1955

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ल : ये बहारों के दिन
ये सुहाना समाँ -२
र : ( अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ ) -२
दो : ये बहारों के दिन
हो हो हो
हा हा हाल : ओ ओ ओ
आज गाते चलो
मुस्कुराते चलो
मस्तियाँ ज़िन्दगी की लुटाते चलो
र : अब नहीं कोई ग़म
अपनी मंज़िल पे हम
आ गये हैं सनम
दो : दोनों साथी मिले
बन गया कारवाँ -२( अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ ) -२
ये बहारों के दिन
ल : हो हो हो
र : हा हा हा
ल : आ आ आर : shouting
ल : shouting, twiceर : आ आ आ
हो ओ ओ
तुम हमारे हुये
हम तुम्हारे हुये
मिल गये दो मोहब्बत के मारे हुये
ल : तेरे दम से सनम
है ये दिल का चमन
प्यार की अन्जुमन
दो : ज़िन्दगी है हसीँ
आरज़ू है जवाँ -२अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ
ये बहारों के दिन
हो हो हो
हा हा हाये बहारों के दिन
ये सुहाना समाँ
( अब तो सुन लीजिये
प्यार की दास्ताँ ) -२
ये बहारों के दिन
हो हो हो