तू कहे अगर जीवन भर मैं गीत सुनाता जाऊँ - The Indic Lyrics Database

तू कहे अगर जीवन भर मैं गीत सुनाता जाऊँ

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - अंदाज | वर्ष - 1949

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तू कहे अगर जीव नभर, मैं गीत सुनाता जाऊँ
मन-बीन बजाता जाऊँ
और आग मैं अपने दिलकी हर दिल में लगाता जाऊँ
दुख दर्द मिटाता जाऊँ, तू कहे अगर
मैं साज़ हूँ तू सरगम है, देती जा सहारे मुझ को
मैं राग हूँ, तू बीना है, जिस दम तू पुकारे मुझ को
आवाज़ में तेरी हरदम आवाज़ मिलाता जाऊँ
आकाश पे छाता जाऊँ, तू कहे अगर
इन बोलों में तू ही तू है, मैं समझूं या तू जाने
इनमें है कहानी मेरी, इनमें हैं तेरे अफ़साने
तू साज़ उठा उल्फ़त का, मैं झूम के गाता जाऊँ
सपनों को जगाता जाऊँ, तू कहे अगर