अभी तो सजी है मुरादों की दुनिया - The Indic Lyrics Database

अभी तो सजी है मुरादों की दुनिया

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मोहम्मद शफ़ी नियाज़ी | फ़िल्म - जिंदगी | वर्ष - 1956

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अभी तो सजी है मुरादों की दुनिया -२
अभी से ये दुनिया मिटायेंगे कैसे
कहानी अधूरी है और रात बाकी
चिराग़-ए-तमन्ना बुझायेंगे कैसे( उमंगें जवाँ हैं मुहब्बत जवाँ है
अभी जान देने की फ़ुरसत कहाँ है ) -२
बहारों के दिन हैं बहारों की रातें
ख़िज़ाँ को गले से लगायेंगे कैसे
अभी तो सजी है( हँसा कर रुलाना बना कर मिटाना
कहीं तुझ को ज़ालिम न समझे ज़माना ) -२
जो इन्साफ़ तेरा नहीं है तो मालिक
तेरे सामने सर झुकायेंगे कैसेअभी तो सजी है मुरादों की दुनिया
अभी से ये दुनिया मिटायेंगे कैसे
अभी तो सजी है